हिसार:कोई भी प्रमाण पत्र या डिग्री आपकी काबिलियत का प्रमाण नहीं हो सकती है आज भी ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने बहुत कम पढ़ाई लिखाई की है लेकिन आज लाखों की कमाई कर रहे हैं। हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। आज भी शिक्षा हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने 12वीं में फेल होने के बाद पढ़ाई को छोड़ दिया।
लेकिन आज वे मशरूम की खेती कर रहे हैं जिससे उन्हें लाखों रूपये की कमाई हो रही है। इनका नाम विकास वर्मा है। विकास को भी खेती शुरू करने के बाद कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था लेकिन विकास ने निरंतर प्रयास जारी रखा और खेती को ही बिज़नस का रूप दिया। आज इस खेती से वे कई लोगों की जिंदगी में भी बदलाव लाने का काम कर रहे हैं। आइए जानते हैं खबर को विस्तार से।
12वीं में हुए फेल तो शुरू की खेती
आज कई किसान ऐसे हैं जो आज भी पारंपरिक खेती ही कर रहे हैं लेकिन कई युवा आज खेती के क्षेत्र में अपना भविष्य बना रहे हैं और नए तरीके से खेती को कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं विकास वर्मा जो आज अलग तरीखे से खेती कर अच्छी ख़ासी कमाई कर रहे हैं और अन्य युवाओं को भी खेती के नए तरीकों के बारे में बता रहे हैं। विकास हरियाणा के हिसार ज़िले के सलेमगढ़ गाँव के निवासी हैं और आज मशरूम की खेती कर रहे हैं।
हालांकि इस सफलता के रास्ते में उन्हें भी कई बार असफलता का सामना करना पड़ा। लेकिन खास बात ये रही कि विकास ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने हमेशा कोशिश की और आज खेती से अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। आज वे “वेदांता मशरूम” के नाम से अपनी एक कंपनी भी चलाते हैं। The Better India से बातचीत के दौरान विकास ने बताया कि 2016 में उन्होंने 12वीं कि परीक्षा दी थी।
लेकिन इस परीक्षा में वे फेल हो गए थे जिसके बड़ा उन्होंने दोबारा परीक्षा देने का प्रयास भी नहीं किया। वहीं विकास के पिता भी पाँच एकड़ जमीन पर खेती किया करते थे। लेकिन उनके पिता पारंपरिक खेती करते थे। ऐसे में विकास ने भी खेती करने का फैसला किया लेकिन वे थोड़ा अलग तरीके से खेती करना चाहते थे।
शुरुआत में करना पड़ा मुश्किलों का सामना
शुरुआत में विकास ने मशरूम की खेती करने का फैसला किया जिसके प्रशिक्षण के लिए विकास ने सोनीपत जाने का मन बनाया। विकास बने मशरूम की खेती को इसलिए चुना क्यूंकि उन्होंने देखा था कि उनके घर में पारंपरिक खेती हुआ करती थी जिससे घर चलाना काफी मुश्किल होता था। सोनीपत से विकास ने ट्रेनिंग हासिल की और फिर वापस आकर मशरूम की खेती करना शुरू किया। इस खेती को विकास ने 5 हज़ार रूपये की लागत से शुरू किया था।
खेती के लिए विकास ने कंपोस्ट भी खुद ही तैयार किए थे। लेकिन शुरुआती प्रयास उनका सफल नहीं हो पाया। शुरुआत में ही विकास को खेती में दो लाख रूपये का घाटा सहन करना पड़ा था। लेकिन इस पूरे सफर में विकास के परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। वहीं विकास ने ये भी एहसास किया कि उन्होंने शुरुआत बटन मशरूम से की थी जिसके लिए 20-22 डिग्री का तापमान चाहिए होता है।
लेकिन विकास साल में दो बार इस मशरूम को उगा रहे थे। जबकि इस तरह की मशरूम के लिए सिर्फ सर्दियों का मौसम ही अच्छा रहता है। वहीं विकास ने कंपोस्ट को बनाने में भी कई गलतियाँ की थी जिसके कारण उन्हें नुकसान हो गया। लेकिन विकास ने हार नहीं मानी और एक बार फिर से शुरुआत करने का फैसला किया
शुरू की मशरूम की प्रोसेसिंग
इसके बाद विकास ने चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय से ट्रेनिंग लेने का फैसला किया। यहाँ उन्होंने खेती से जुड़ी कई बारीकियों के बारे में जाना। वहीं उन्होंने यहाँ से ये भी सीखा की कैसे मशरूम से ज्यादा कमाई की जा सकती है। बस इस बार उन्होंने इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही खेती को शुरू किया और इस बार उन्होंने अपने घाटे को भी रिकवर कर लिया। लेकिन विकास की समस्या अभी कम नहीं हुई थी।
दरअसल बटन मशरूम की लाइफ 48 घंटे की ही होती है यदि इस समय के बीच इस मशरूम को नहीं बेका जाए तो मशरूम खराब हो जाता है। ऐसे में किसानों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसलिए विकास ने ऑयस्टर, मिल्की जैसी मशरूम की कई क़िस्मों को उगाना भी शुरू कर दिया। वहीं उन्होंने ये भी बताया कि ऑयस्टर और मिल्की मशरूम में कई औषधीय गुण भी शामिल होते हैं।
हालांकि अब विकास ने मशरूम की कई क़िस्मों को उगा लिया। लेकिन अब उन्हें इन क़िस्मों के मशरूम को बेचने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। वहीं उन्होंने मशरूम को सुखाकर बेचना भी चाहा लेकिन उनका ये आइडिया भी काम नहीं बना पाया। लेकिन इसके बाद विकास ने मशरूम की प्रोसेसिंग शुरू कर दी और इससे आचार, पापड़ बिस्कुट बनाने शुरू कर दिए।
मशरूम से हो रही है लाखों की कमाई
आज विकास अपने खेतों में उगी मशरूम से कई अलग अलग तरह के उत्पाद बना रहे हैं। मशरूम को विकास 700 रूपये किलो के हिसाब से बेचते हैं। वहीं मशरूम की प्रोसेसिंग के बाद उन्हें 8 हज़ार रूपये की कमाई हो जाती है। विकास के मुताबिक 5 किलो मशरूम के बिस्कुट बनाने में बहुत कम मशरूम का इस्तेमाल होता है लेकिन इसमें घी, आटा और दूध जैसी चीज़ें भी इस्तेमाल की जाती हैं।
विकास एक किलो बिस्कुट को करीब 500 रूपये में बेचते हैं। इसके अलावा भी वे मशरूम से कई तरह के प्रॉडक्ट बनाते हैं। एक किलो ऑयस्टर मशरूम से ही विकास को 8000 रूपये की कमाई हो जाती है। वहीं हर दिन उन्हें सब मिलाकर 40-50 हज़ार रूपये की कमाई हो जाती है। आज उनके पास मशरूम के 4 फार्म भी हैं। हर दिन इनमें 7 क्विंटल मशरूम का उत्पादन भी होता है।
शुरू करना चाहते हैं खुद की प्रोसेसिंग यूनिट
हालांकि विकास के मुताबिक मशरूम की प्रोसेसिंग करने और उत्पाद तैयार करने के लिए वे फिलहाल थर्ड पार्टी की मदद ले रहे हैं। लेकिन अब वे जल्द ही खुद की प्रोसेसिंग यूनिट को शुरू करने वाले हैं। इस यूनिट को शुरू करने में उन्हें 30 लाख रूपये का खर्च भी आएगा। वहीं उनके प्रॉडक्ट भी इसलिए ही महंगे हैं लेकिन जब उनकी खुद की यूनिट होगी तो उनके बनाए प्रॉडक्ट के दाम भी कम हो जाएंगे। आज एक एकड़ जमीन पर वे टमाटर, गोभी और खरबूज जैसी फसलों की जैविक खेती भी कर रहे हैं। इससे उन्हें हर वरह 8 लाख रूपये तक की कमाई हो जाती है।
बदल चुके हैं कई लोगों की जिंदगी
बता दें कि खेती से विकास खुद अच्छी कमाई कर ही रहे हैं लेकिन इसी के साथ साथ वे कई लोगों कि जिंदगी में बदलाव लाने का भी प्रयास कर रहे हैं। अब तक वे 10 हज़ार लोगों को मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं। आज वे कई युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय भी जाते हैं। वहीं वे युवाओं के लिए भी खेती को एक अच्छा विकल्प बताते हैं।
हरियाणा के अंकित नाम के शख्स ने भी विकास से ही ट्रेनिंग ली है। दरअसल अंकित ने फूड इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई है लेकिन इसके बाद वे सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करने लगे। लेकिन उन्हें 5 साल बाद भी सफलता नहीं मिली। ऐसे में वे विकास से मिले। तब विकास ने ही उन्हें खेती करने की सलाह दी।
हालांकि शुरुआत में अंकित भी खेती से घबरा रहे थे लेकिन तब विकास ने ही अंकित का हौंसला बढ़ाया। इसके बाद अंकित ने 1.5 लाख से मशरूम की खेती को शुरू किया जिससे वे हर महीने 50 हज़ार से ज्यादा की कमाई करने लगे। वहीं विकास का कहना है कि मशरूम को मिड डे मील में भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि बच्चों को भी लाभ मिले।