गोरखपुर। स्वाद से तीखी मिर्च की खेती भी किसानों के जीवन में मिठास घोल सकती है। इसकी खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट, चिकनी दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है। मिर्च की खेती वर्षभर की जा सकती है, लेकिन कम तापमान में लोगों को थोड़ी सावधानी अपनानी होगी। शीतकाल की मिर्च की खेती के लिए अगस्त माह में नर्सरी तैयार की जाती है। इसके लिए आवश्यकतानुसार मिर्च की किस्मों का चयन किया जा सकता है।
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अर्का मोहिनी, अर्का हरित, काशी अर्ली, अर्का गौरव, अर्काबसंत।
मसाले के लिए किस्में- पूसा ज्वाला, पंत सी- 1, जवाहर मिर्च 148, 283, भाग्यलक्ष्मी।
हरी मिर्च की किस्में- काशी अनमोल, काशी विश्वास, काशी अरली, काशी हरित,काशी सुर्ख।
100 ग्राम बीज में होती है एक एकड़ खेती
प्रति एकड़ रोपाई के लिए सामान्य किस्मों का 300 ग्राम बीज की जरूरत होती है। संकर किस्मों के लिए 100 ग्राम बीज पर्याप्त है। करीब चार सप्ताह में नर्सरी रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ क्षेत्रफल में 120 किलोग्राम यूरिया, 80 किलोग्राम डीएपी व 80 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश की आवश्यकता होती है। यूरिया की आधी मात्रा को दो भागों में बांट कर रोपाई के 30 व 45 दिन पर प्रयोग करें। शेष उर्वरक रोपाई से पूर्व डालें। मिर्च की रोपाई 60 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर करते हैं।
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ऐसे करें मिर्च की तोड़ाई
हरी मिर्च के लिए तुड़ाई फल लगने के 15 से 20 दिन बाद कर सकते हैं। पहली तुड़ाई से दूसरी तुड़ाई का अंतर 12 से 15 दिन का रखते हैं। यदि सूखी लाल मिर्च के लिए तुड़ाई करनी हो तो एक या दो बार हरी मिर्च की तुड़ाई करके मिर्च पौधे पर ही पकने के लिए छोड़ दी जाती है। औसतन हरी मिर्च 60 ङ्क्षक्वटल या सूखी मिर्च 8 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त होती है। मिर्च की खेती के लिए प्रति एकड़ 35 से 40 हजार रुपये की लागत आती है। किसान को मिर्च की खेती से तीन से चार गुना लाभ होता है।