पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 137 दिनों बाद शुरू हुई यह बढ़ोतरी जल्द थमने वाली नहीं है। जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल की मौजूदा कीमतों के लिहाज से तेल विपणन कंपनियों को अपना मार्जिन बनाए रखने के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 19 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है।
जानकारों के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से पेट्रोल-डीजल के दामों में 50 पैसे के आसपास बढ़ोतरी की आवश्यकता होती है। पिछली बार जब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव किया गया था, तब कच्चा तेल 81.6 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया था। आज कच्चा तेल 118 डॉलर के आसपास कारोबार कर रहा है। पेट्रोल-डीजल में पिछले बदलाव के मुकाबले आज कच्चे तेल का भाव 37 डॉलर प्रति डॉलर ज्यादा है। ऐसे में तेल विपणन कंपनियों को अपना मार्जिन बनाए रखने के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमत करीब 19 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की आवश्यकता है।
जानकारों का कहना है कि पिछले बार पेट्रोल-डीजल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंचने पर केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी। पेट्रोल पर यह कटौती पांच रुपये प्रति लीटर थी, जबकि डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी।
कच्चे तेल की मौजूदा कीमतों को देखते हुए एक बार फिर पेट्रोल-डीजल के 100 रुपये प्रति लीटर जाने की आशंका बन गई है। ऐसे में केंद्र सरकार आम लोगों को राहत देने के लिए एक्साइज ड्यूटी में और कटौती कर सकती है। अभी एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर है।
केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया कहते हैं कि अमेरिका समेत प्रमुख देश कच्चे तेल की कीमतों में कमी लाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण इन प्रयासों में ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद नहीं है। युद्ध खत्म होने के बाद भी कच्चे तेल की कीमतों पर काबू पाने में दो से तीन महीने का समय लगेगा। इसके बाद ही आम लोगों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राहत मिलेगी।
इससे पहले तेल विपणन कंपनियां थोक ग्राहकों के लिए डीजल की कीमत में 25 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर चुकी हैं। हालांकि, कर जोड़ने के बाद वास्तविक बढ़ोतरी 28 रुपये के आसपास रही है।