खेतों में तैयार खड़ी गेहूं की फसल पर ढीली तारों का खतरा मंडरा रहा है। कई जगह तो हालात ऐसे हैं कि तारें फसल को छू रही हैं। फसल पककर तैयार है और तेज हवाएं भी चल रही हैं। ऐसे में एक चिगारी फसल को खाक कर सकती है। शार्ट सर्किट के कारण हर वर्ष सैकड़ों एकड़ फसल जलकर राख हो जाती है। बावजूद इसके बिजली निगम की ओर से इस दिशा में लापरवाही बढ़ती जा रही है।,
यमुनानगर :
खेतों में तैयार खड़ी गेहूं की फसल पर ढीली तारों का खतरा मंडरा रहा है। कई जगह तो हालात ऐसे हैं कि तारें फसल को छू रही हैं। फसल पककर तैयार है और तेज हवाएं भी चल रही हैं। ऐसे में एक चिगारी फसल को खाक कर सकती है। शार्ट सर्किट के कारण हर वर्ष सैकड़ों एकड़ फसल जलकर राख हो जाती है। बावजूद इसके बिजली निगम की ओर से इस दिशा में लापरवाही बढ़ती जा रही है। तारों को बदलना तो दूर, उनको कसा भी नहीं जा रहा है। गत माह सरस्वती नगर में कई एकड़ में खड़ी गन्ने की फसल स्वाहा हो गई थी। जिले में करीब 85 हजार एकड़ में गेहूं की फसल खड़ी है। जिले में 441 ग्राम पंचायतें व 655 गांव हैं। केवल अप्रैल माह फसल में आग लगने की 250-300 घटनाएं सामने आ जाती हैं।
कहां कितनी गाड़ियां :
आपात स्थिति के दौरान यमुनानगर-जगाधरी से ग्रामीण एरिया में जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। यमुनानगर से रादौर करीब 20 किलोमीटर है। यदि गुमथला की तरफ जाना पड़ जाए तो दूरी और बढ़ जाएगी। इसी तरह साढौरा 30, छछरौली 10, खिजराबाद 45 किलोमीटर दूर है। सीजन में इन क्षेत्रों में गेहूं की फसल में आग लगती है तो दमकल की गाड़ियां समय पर नहीं पहुंच पाती। हालांकि रादौर, सरस्वतीनगर व गुमथला में दमकल की गाड़ियों की व्यवस्था करने की मांग उठती रही है, लेकिन अभी यह व्यवस्था नहीं हो पाई है।
बिजली के तार बनते हैं आगजनी का कारण :
अधिकांश मामलों में आग लगने का कारण बिजली के ढीले तार होते हैं। खेतों में तारों की स्थिति काफी खस्ता है। ढीले तार फसलों को छू रहे हैं। सीजन से पहले किसान इसकी शिकायत करते हैं, लेकिन बिजली कर्मचारी इनको दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाते। तेज हवा चलने की स्थिति में तार आपस में टकराते हैं और इनसे निकली चिगारी फसल को पलभर में खाक कर देती है। ढीली तारों को कसा जाए :
भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान का कहना है कि खेतों से गुजर रहे बिजली के तार जर्जर हो चुके हैं। ढीले होने के कारण खेतों से ऊंचाई बहुत कम है। ऐसी स्थिति में आगजनी की घटना का डर बना रहता है। हर वर्ष किसानों को भारी नुकसान होता है। तारों की मरम्मत कराई जाए। आपात स्थिति से निपटने के लिए हर ब्लाक में दमकल की गाड़ी हो।
किसानों को होता भारी नुकसान :
भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान संजू गुंदियाना का कहना है कि खेतों में आगजनी की घटनाओं के लिए बिजली निगम कसूरवार है। जर्जर तारों को बदलने की जहमत नहीं उठाई जाती। गेहूं के साथ गन्ने की फसल भी जलकर राख हो जाती है। आग पर काबू पाने के लिए ब्लाक स्तर पर गाड़ियों की व्यवस्था नहीं है। जब तक गाड़ी मौके पर पहुंचती है, तब तक फसल जलकर स्वाहा हो जाती है ये बरतें एहतियात :
फायर आफिसर प्रमोद कुमार दुग्गल का कहना है कि हमारा हमेशा यही प्रयास रहता है कि समय पर गाड़ी पहुंचे। बिलासपुर व छछरौली में एक-एक गाड़ी है। रादौर में जल्दी ही व्यवस्था करवा दी जाएगी। सावधानी बरतकर भी आगजनी की संभावना को कम किया जा सकता है। किसानों को चाहिए कि वे कटाई के बाद गेहूं के ढेर बिजली के तारों से दूरी पर रखें। खेत में कांच का शीशा हो तो उसे बाहर निकाल दें, क्योंकि सूर्य की किरण पड़ने से कांच से भी आग लग सकती है। खेत में हर समय पानी से भरे ड्रम रखें, ताकि आग लगने पर काम आ सके।
शिकायत आने पर दुरुस्त करवा देंगे :
ढीली तारों से संबंधित यदि कोई शिकायत आती है तो उसको दुरुस्त करवा दिया जाता है। यदि कहीं स्थिति ज्यादा खराब है तो संबंधित एसडीओ को शिकायत की जा सकती है।
राजेंद्र कुमार, एसई, बिजली निगम।