नगर निगम के 226 कर्मचारियों के पीएफ पर एजेंसी ने मारी कुंडली

यमुनानगर :

नगर निगम में आउटसोर्स पालिसी के तहत लगे कर्मचारियों के पीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि ) पर एजेंसी कुंडली मारे बैठी है। सात माह से 226 कर्मचारियों के खाते में पीएफ की राशि जमा नहीं हुई। इनमें चपरासी से लेकर जेई तक के कर्मचारी शामिल हैं। एक कर्मचारी का पीएफ आठ से 10 हजार रुपये बनता है। बताया जा रहा है कि निगम की ओर से राशि जमा करा दी गई है, लेकिन एजेंसी व पीएफ आफिस की कशमकश के बीच इन कर्मचारियों का पीएफ फंसा हुआ है। हालांकि कर्मचारी दबी जुबां से विरोध कर रहे हैं, लेकिन खुलकर सामने आने से गुरेज कर रहे हैं। विरोध करने से इनको नौकरी पर आंच आने भी का डर है।

हर माह करवानी होती है राशि जमा :

ठेकेदार को पेमेंट नगर निगम की ओर से की जाती है। कर्मचारियों के खाते में राशि डालना एजेंसी का काम है। एजेंसी की ओर से चालान तैयार कर निगम को जमा करवा दिए जाते हैं। इसकी एवज में एजेंसी को प्रतिमाह निर्धारित कमीशन दिया जाता है। सर्विस नियमों व कानून के मुताबिक एजेंसी को प्रतिमाह कर्मचारी के खाते में पीएफ की राशि डालनी होती है, लेकिन सात माह से कर्मचारियों को उनका हक न मिलने से निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। एजेंसी पर आखिर यह दरियादिली क्यों दिखाई जा रही है। चर्चा यह भी है कि इसी एजेंसी ने निगम के साथ-साथ अन्य विभागों को मैनपावर उपलब्ध करवाई हुई है।

ये कर्मचारी कार्यरत :

नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी कार्यालय में अलग-अलग पदों पर 226 आउट सोर्स कर्मचारी तैनात हैं। कर्मचारियों की नियमित रूप से हाजिरी लगती है। चपड़ासी, एनक्राचमेंट रिमूवर, कंप्यूटर आपरेटर, जेई व जूनियर प्रोग्रामर शामिल हैं। अब कर्मचारियों का डाटा कौशल पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है।

इस तरह होता है जमा :

सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य के लिए यह योजना शुरू की हुई है। फर्म व कंपनी में काम करने पर सैलरी का एक हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि खाता ईपीएफ में जाता है। यह नौकरीदाता की जिम्मेदारी है कि हर कर्मचारी का ईपीएफ खाता हो। ईपीएफ खाताधारक की मौत होने पर यह रकम परिवार को मिलती है। इसके अलावा उत्तराधिकारी छह लाख रुपए तक का दावा भी कर सकता है।

अन्य संस्थानों में घालमेल :

जिले में प्लाईवुड की 1200 यूनिट, मेटल की छोटी बड़ी 1300 इकाइयां, 300 शिक्षण संस्थान, 50 होटल, 90 अस्पताल के अलावा कई बड़ी फैक्ट्रियां है। यमुनानगर में बोर्ड व जगाधरी की मेटल फैक्ट्रियों में दो लाख से ज्यादा लोग नौकरी करते हैं, जबकि पीएफ 30 हजार के करीब कर्मचारियों का कटता है। अधिकतर फैक्ट्री संचालकों का रिकार्ड ठीक नहीं है। हाजिरी रजिस्टरों में भी हेराफेरी की जाती है। सुविधा के हिसाब से रजिस्टर लगाए हुए है।

निकाय मंत्री से करेंगे बात :

भाजपा के अनुषांगिक संगठन के राष्ट्रीय महासचिव सर्वेश पाठक का कहना है कि पीएफ कर्मचारियों का हक है। संबंधित एजेंसी या कंपनी को नियमित रूप से कर्मचारियों को पीएफ की सुविधा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। यदि इसमें किसी तह की कोताही बरती जा रही है तो यह गंभीर बात है। नगर निगम में कार्यरत कर्मचारियों को पीएफ न मिलने का मामला शहरी स्थानीय निकाय मंत्री व सीएम के समक्ष रखा जाएगा। कर्मचारियों के हितों को लेकर सरकार विशेष रूप से काम कर रही है।

मामला संज्ञान में आया है :

आउटसोर्स कर्मचारियों के खाते में पीएफ जमा न होने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस संदर्भ में संबंधित एजेंसी के मालिक से बात हुई है। उम्मीद है जल्दी ही पीएफ की राशि कर्मचारियों के खाते में डाल दी जाएगी।

अशोक कुमार, डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर, नगर निगम।

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