क्षेत्र में ओवरलोड का बड़ा खेल चल रहा है। इससे क्षेत्र की सड़कें टूट रही हैं। इसके पीछे का बड़ा कारण वाट्सएप ग्रुप हैं। इनके माध्यम से अधिकारियों की पल-पल की रैकी हो रही है। एक जुलाई से 15 सितंबर तक यमुना नदी में खनन पर पाबंदी है।
अभी यमुना नदी के अंदर तो मशीनों की गूंज शांत है, लेकिन खनन सामग्री से भरे ओवरलोड वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ रहे हैं। अधिकारियों की रैकी करने वाले लोगों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि अवैध खनन व ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई करना प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
जब कोई टीम क्षेत्र में पहुंचती है तो टीम के पहुंचने से पहले की सूचना वाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से वाहन चालकों तक पहुंचा दी जाती है। जिससे वे इधर-उधर हो जाते हैं और कार्रवाई से बच जाते हैं। कुछ समय पहले टीम ने रैकी करने वाले 9 वाट्सएप ग्रुपों के संचालक को पकड़ा भी था। कई ठोस सबूत भी उसके पास से बारामद हुए थे। उस पर केस भी दर्ज हुआ, लेकिन कुछ समय बाद ही उसे जमानत मिल गई।
अवैध खनन व ओवरलोड के खिलाफ सीबाआई जांच की मांग करने वाले एडवोकेट वरयाम सिंह का कहना है कि नूहं जिले के तावड़ू क्षेत्र में अवैध खनन माफिया द्वारा पत्थरों से भरे डंपर से कुचलकर की गई डीएसपी की हत्या भी रैकी से ही संबंधित है। खनन माफिया ने एक ईमानदार अधिकारी की जिंदगी लील ली। सख्त कार्रवाई न होने से अवैध खनन व ओवरलोड का धंधा क्षेत्र में फल फूल रहा है।
रैकी ग्रुपों पर हो कार्रवाई: अवैध खनन व ओवरलोड के खिलाफ लंबे समय से आवाज उठा रहे व हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने वाले एडवोकेट वरयाम सिंह का कहना है कि रैकी ग्रुपों पर कोई सख्त कार्रवाई प्रशासन की ओर से नहीं की जा रही। जिससे न केवल नियमों की अवहेलना हो रही है बल्कि सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा रैकी ग्रुप का प्रशासन पर हावी होना अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर भी खतरा पैदा कर सकता है। क्योंकि अधिकारियों की पल-पल की रिपोर्ट उनके पास होती है।