चंडीगढ़: हरियाणा के यमुनानगर जिले में पुलिस द्वारा एक युवक की मारपीट करने के मामले में गृह मंत्री अनिल विज ने फ़र्खपुर थाना इंचार्ज को तुरंत निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं। दरअसल यमुनानगर निवासी शंभू राम मंगलवार को गृह मंत्री से मुलाकात करने के लिए हरियाणा सचिवालय पहुंचा था। शंभू प्रशाद ने अपने वस्त्र उतारकर अपनी पीठ पर पुलिस द्वारा बेरहमी से की गई पिटाई के निशान दिखाएं तथा रो-रोकर अपना दुखड़ा गृह मंत्री को सुनाया। गृह मंत्री अनिल विज ने तुरंत यमुनानगर के पुलिस अधीक्षक मोहित हांडा से बात की और उन्हें आदेश दिए कि थाना इंचार्ज को तुरंत निलंबित कर पुलिस लाइन भेजा जाए।
- गृह मंत्री बोले, गरीब व्यक्ति का दुख को कैसे देखूं
गृह मंत्री विज ने पुलिस अधीक्षक को कहा कि एक गरीब दुखी व्यक्ति जब मेरे पास आकर रो रहा है ,तो मैं इस पीड़ा को कैसे देख सकता हूं। उन्होंने कहा कि इस मामले में पूर्ण निष्पक्ष कार्रवाई करते हुए दोषी के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाए। अनिल विज ने शंभू प्रसाद की पूरी आपबीती ध्यान से सुनी तथा उनके आवेदन पर लिखित रूप से आदेश जारी कर तुरंत एसआईटी गठित करें तथा 10 दिन के बीच एसआईटी द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट उनके कार्यालय में भेजने के आदेश जारी किए।
पीड़ित का आरोप झूठा मुकदमा बनाकर पुलिस ने की मारपीट
शंभू राम ने अनिल विज के सामने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने घर में डकैती व लूटपाट होने की शिकायत फ़र्खपुर पुलिस थाने में दी थी। लेकिन पुलिस ने संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की बजाए केवल मारपीट का मामला दर्ज कर अपराधियों को बचाने में मदद की। यही नहीं फारुख पुर थाना प्रभारी ने उसके खिलाफ एक झूठा मुकदमा दर्ज किया और उसे बेरहमी से मारा पीटा। शंभू ने बताया कि वह यमुनानगर के पुलिस अधीक्षक से भी अपनी गुहार लगा चुका है। उन्होंने डीएसपी से जांच कराने को कहा था, जो अभी तक शुरू नहीं हुई है।
शंभू प्रसाद ने पुलिस पर आरोपियों को बचाने के लगाए आरोप
शंभू प्रसाद ने बताया कि 29 जुलाई को फ़र्खपुर थाना के एसएचओ व जांच अधिकारी द्वारा अवैध रूप से झूठे मामले में उसकी गिरफ्तारी की गई तथा उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई। शंभू प्रसाद का कहना है कि थाने के अंदर लगे हुए सीसीटीवी कैमरा के माध्यम से उसकी सच्चाई की जांच पुलिस का कोई भी ईमानदार व निष्पक्ष आला अधिकारी कर सकता है। शंभू ने बताया कि पुलिस के अधिकारी उसके द्वार दर्ज मुकदमा नंबर 158 में आरोपी रवि व अन्य के खिलाफ पैरवी न करने का दवाब डाल रहे थे। उस मामले में अंदर पुलिस को धारा 457 लगानी चाहिए थी, जबकि पुलिस द्वारा आरोपियों को बचाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है।