जिन राजकीय स्कूलों में शिक्षक नहीं है तो वहां के मुखिया जिला शिक्षा विभाग में डिमांड कर सकते हैं। ऐसे स्कूल जहां शिक्षकों की अधिकता है। डीईओ वहां से एक दो टीचर को अपने स्तर पर प्रतिनियुक्ति पर भेज सकते हैं। ये पावर सरकार की ओर से हाल ही में दी गई है। जिले के अधिकारियों की दिक्कत ये है शिक्षक पहले ही कम हैं, वह अपने स्तर पर डिमांड कैसे पूरी करेंगे। शिक्षा निदेशालय ने डीईओ के साथ डीईईओ को पावर दी है। अब स्कूलाें में शिक्षकों को लेकर आंतरिक व्यवस्था ये अधिकारी कर सकते हैं। किसी स्कूल में ज्यादा है है तो उन स्कूलों में शिक्षक डेपुटेशन पर भेज सकते हैं, जहां कमी है। शिक्षक महेंद्र सिंह, पवन कुमार, रामप्रकाश का कहनाsv है कि सरकार के इस s से विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
जिले के 929 से 100 से अधिक स्कूल तो ऐसे होंगे, जहां सभी विषयों के शिक्षक ही नहीं है। ऐसे स्कूलों की भी कमी नहीं है, जहां एक ही टीचर सेवा दे रहा है। आधे से ज्यादा शिक्षक मॉडल स्कूलों को मिले | जिले में 8 मॉडल संस्कृति स्कूल है। ये सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है। इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सेंटा टेस्ट लिया गया। टेस्ट पास करने वाले अधिकतर टीचर हरियाणा बोर्ड से सीबीएसई मान्यता प्राप्त में चले गए। इससे इन स्कूलों में जो शिक्षकों की कमी काफी हद तक पूरी हो गई, लेकिन सामान्य स्कूलों में पद रिक्त ज्यादा हो गए। इसका असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। शिक्षा निदेशालय की ओर से शिक्षकों के लिए सितंबर माह में ट्रांसफर ड्राइव शुरू किया गया। इससे शिक्षकों को उनके मनपसंद स्कूल मिल गए लेकिन आधे से ज्यादा में पद ही रिक्त हो गए। जाने वालों की संख्या ज्यादा रही आने वाले कम रहे। जिसके चलते स्कूलों में पद रिक्त हो गए। कई शिक्षकों का ये भी मानना है कि ड्राइव में खामियों के चलते मिडिल, हाई, सीनियर सेकेंडरी कई जगह कमी हो गई। कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां टीचर ज्यादा हो गए। विद्यार्थियों की संख्या कम है।