KARNAL/लापरवाही:नगर निगम हर माह खर्च रहा 75 हजार, बायो सीएनजी प्लांट पर न सीएनजी व न बिजली यूनिट का कोई डेटा

  • सीएनजी प्लांट बना सफेद हाथी, कई दिनों का गोबर भी प्लांट पर पड़ा सूख रहा

KARNAL:नगर निगम का बायो जीएनजी प्लांट नकारा साबित हो रहा है। प्लाट के संचालन पर नगर निगम हर माह 75 हजार रुपए खर्च कर रहा है, लेकिन कितनी किलोग्राम सीएनजी बनी और कितनी यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ, इसका अधिकारियों पर कोई डाटा नहीं है। प्लांट बंद पड़ा है और पिछले कई दिनों से गोबर भी पड़ा-पड़ा सूख रहा है। शनिवार दोपहर को प्लांट पर गीले कचरे का तो कोई नामोनिशान तक नहीं मिल पाया है। प्लांट भी बंद पड़ा था। न तो सीएनजी का निर्माण हो रहा था ओर और न सीएनजी से बिजली का उत्पादन।

नगर निगम की ओर से 1.25 करोड़ की लागत से ईटीपी (एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) के साथ ही विभिन्न तरह के वेस्ट से सीएनजी बनाने का प्लांट भी लगाया गया है। लेकिन यह प्लांट कागजों में अधिक और हकीकत में कम चल रहा है। न तो प्लांट पर तैनात कर्मचारियों के पास सीएनजी और उत्पादित बिजली यूनिट की जानकारी है और न अधिकारियों के पास इसका कोई डाटा है। दावे प्लांट पर सीएनजी और बिजली उत्पादन करने के किए जा रहे हैं।

मीट मार्केट में नहीं चल रही दुकानें

ईटीपी प्लांट पर बनाई गई मीट मार्केट सुनसान पड़ी है। यहां पर एक भी दुकान आबाद नहीं हो पाई हैं, जबकि नगर निगम की ओर से यहां पर मीट की स्पेशल मार्केट होने का दावा किया गया था, जहां से शहर ही दुकानों पर मीट सप्लाई होना था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया है।

कचरा तक नहीं दे पा रहा निगम

सीएनजी प्लांट की मॉनिटरिंग तो दूर नगर निगम पूरी मात्रा में बायोडिग्रेडेबल कचरा भी प्लांट को नहीं दे पा रहा है। प्लांट को हर दिन नियमित रूप से चलाया जाए तो 15 टन टन कचरे की जरूरत है। लेकिन यहां न तो प्लांट को नियमित चलाया जाता है और न नगर निगम को बायोडिग्रेडेबल कचरा उपलब्ध कराने की चिंता है।

सीएनजी प्लांट की क्षमता कागजों में पांच टन पर डे की है, लेकिन उन्होंने पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे 15 टन पर डे कचरा खपत के तौर पर चलाया है। पर डे ढाई टन सीएनजी और महीने में 3 हजार एसएलएम बिजली का उत्पादन किया जाता है। संजय चौहान, प्रोजेक्ट मैनेजर।

बायो सीएनजी प्लांट की रिपोर्ट ली जाएगी। प्लांट में कितनी गैस बनी है और कितनी यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है। गीले कचरे की उपलब्धता और प्लांट को नियमित चलाया जाना जरूरी है। –प्रियंका सैनी, एक्सईएन नगर निगम करनाल।

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