नई दिल्ली। पड़ोसी देश श्रीलंका के हालात जितनी तेजी से खराब हुए हैं, उससे भारतीय विदेश मंत्रालय भी अचंभित है। श्रीलंका के कई शहरों में खाने-पीने की वस्तुओं और बिजली व ईंधन के संकट की वजह से उत्पन्न स्थिति पर विदेश मंत्रालय पैनी नजर बनाए हुए है और कोशिश यह की जा रही है कि वहां भारत विरोधी गतिविधियां ना शुरू होने पाए। यही वजह है कि शनिवार को जैसे ही श्रीलंका के इंटरनेट मीडिया में यह बात फैली की भारत वहां सैनिक भेज रहा है तो कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने इसे गंभीरता से लिया और इन सूचनाओं को आधारहीन बताते हुए खंडन जारी किया। इसके साथ ही भारत ने वहां डीजल की किल्लत को देखते हुए 40 हजार टन डीजल उपलब्ध करा दिया है लेकिन हालात को देखते हुए इसे नाकाफी बताया जा रहा है।
भारत की तरफ से सेना भेजने की खबरों पर भारतीय उच्चायोग ने कहा कि इस तरह की गलत व आधारहीन रिपोर्ट का हम खंडन करते हैं। कुछ मीडिया में यह बताया जा रहा है कि भारत वहां सेना भेज रहा है। हम इस तरह की गैरजिम्मेदाराना रिपोर्टिंग की भर्त्सना करते हैं और संबंधित पक्षों से अपील करते हैं कि अफवाह फैलाना बंद करें।
इसी हफ्ते श्रीलंका गए थे जयशंकर
सनद रहे कि इस हफ्ते की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कोलंबो की यात्रा की थी और कई तरह की आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे श्रीलंका सरकार के साथ भावी मदद पर चर्चा की थी। इस दौरान दोनों देशों के बीच छह समझौतों पर ही हस्ताक्षर हुए थे। श्रीलंका को भारत हाल के महीनों में तकरीबन 2.4 अरब डालर (लगभग दो हजार करोड़ रुपये) की मदद दे चुका है। वहां की सरकार ने एक अरब डालर के मदद की और मांग की है जिस पर विचार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में वक्त लग सकता है क्योंकि इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और वित्त मंत्रालय के साथ विमर्श के बाद ही स्वीकार किया जा सकता है।